आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शहर की जो यूपी चुनाव में शायद सबसे ज्यादा चर्चित है। एक ऐसा शहर जिसे कहा जाता है यहाँ का चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है। इस शहर का चुनाव जीतने के लिए हर पार्टी अपनी पूरी ताक़त लगा देती है। इस शहर पर हर राजनैतिक पार्टी अपना वर्चस्व चाहती है। चलिए आपकी मदद के लिए बता दें की इस जिले में 8 सीटें हैं, और पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 8 में 8 सीटें पाकर प्रचंड जीत हासिल की थी। साथ ही ये शहर प्रधान मंत्री का संसदीय क्षेत्र है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे की हम बेहद सुन्दर शहर वाराणसी की बात कर रहे हैं।
वाराणसी इस समय सभी नेताओं की रैलियों का मुख्य केंद्र बना हुआ है। सब पार्टियों के प्रमुख नेता, कार्यकर्ता आदि, सभी पवित्र शहर वाराणसी में पहुंचे हुए है। हम भी वाराणसी में ही हैं,और 5 मार्च तक यहाँ चुनावी प्रचार चलेगा जो किसी त्यौहार से कम नहीं होगा। एक नेता की रैली ख़त्म होती नहीं की दूसरे की शुरू हो जाती है। पूरा वाराणसी सिर्फ पार्टियों के झंडों और नारों से घिरा हुआ है।
कहीं प्रधानमंत्री मोदी रोड शो कर रहे हैं, तो कहीं अखिलेश की विशाल रैलियां आसपास के जिलों में हो रहीं हैं। प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी भी काशी में हैं, जिन्होंने कल ही प्रचार के साथ कशी विश्वनाथ के दर्शन भी किये। वाराणसी शहर में खुद बसपा की प्रमुख मायावती भी अपनी रैली करने पहुंची। बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी भी वाराणसी में अखिलेश और जयंत के गठबंधन का प्रचार करने आयीं, और साथ ही विशाल जनसभा को भी सम्बोधित किया। अमित शाह भी प्रधान मंत्री के आगमन से पहले वाराणसी में थे। ये देखकर तो ऐसा ही लगता है की वाराणसी जीतने की सभी नेताओं ने कमर कस ली है, और काशी भूमि पर अपना चुनाव प्रचार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
कहीं कमल खिल रहे हैं, तो कहीं साइकिल चलती दिख रही है। कहीं हाथ का भरपूर प्रचार हो रहा है तो कहीं हाथी भी तेज़ी से रेस में दौड़ लगा रहा है।
कहा जाता है यूपी में जातिगत राजनीती हावी रहती है, और इसी को ध्यान में रखकर प्रत्येक पार्टी अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारती है। वाराणसी में सभी पार्टी की रैलियों और रोड शो में गज़ब की भीड़ दिखाई दे रही है। वाराणसी जो की अपनी संकरी गलियों के लिए मशहूर है, 4 तारीख़ को प्रचार के कारण भारी ट्रैफिक के कारण घंटो जाम लगा रहा।
यहाँ रहने वाले लोग आस्था के साथ चुनाव में भी उतनी ही रूचि रखते हैं। हर कोने नुक्कड़ पर, दुकानों पर चुनाव की चर्चा तो कानों में पड़ ही जाती है।
असल में वाराणसी इस महायद्ध के आखिरी पड़ाव में सबसे मुख्य शहर माना जा रहा है। जहाँ सारे प्रमुख नेताओं ने बड़ी बड़ी रैलियां की, वहां किसने बाज़ी मारी इस पर तो सबकी नज़र होगी।
काशी में राज करने के लिए बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद किसको मिलेगा, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा।