
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस 125 वी जयंती के मौके पर, नेताजी का जवाहरलाल नेहरू को लिखा एक पत्र ट्वीट किया। इस चिट्ठी को ट्वीट करते हुए शशि थरूर ने कहा, ‘हमारे राजनीतिक नेता पढ़ते, लिखते, सोचते और यहां तक कि एक-दूसरे की परवाह भी करते थे। तब से हम कितने नीचे गिर गए हैं? ‘
शशि थरूर जो ख़त अपनी ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया वो सुभाष चंद्र बोस का लिखा ख़त है जो उन्होंने 30 जून 1936 को दार्जिलिंग के पुलिस अधीक्षक के घर से जवाहरलाल नेहरू को लिखा था।
सुभाष चंद्र बोस ने इस पत्र में लिखा है,
सुभाष चंद्र बोस की तरफ़ से
पुलिस अधीक्षक,
दार्जीलिंग
June 30, 1936
प्रिय जवाहर ,
मुझे आपका 22 तारीख का भेजा ख़त 27 को मिला और उसके मिलने से मैं बहुत आनंदित हूँ। अख़बारों से मुझे समझ आया कि आप ज़रूरत से ज़्यादा काम कर रहे हैं। और मुझे आपके स्वास्थ्य की चिंता हो रही थी। मुझे ख़ुशी है भले ही बहुत कम समय के लिए लेकिन आप आराम करने के लिए मसूरी तो गए।
मैं जानता हूँ आप काम के ओवरलोड से मुँह नहीं फेर पाएँगे, ऐसा करना आपके लिए बेहद मुश्किल है। इस बात के लिए मैं आपकी सराहना करना चाहूँगा। मगर खुद को बहुत ज़्यादा तकलीफ़ भी न दें। अगर आपका स्वास्थ्य बिगड़ा तो उससे किसी का भला नहीं होगा।
आपने अपने जीजा रंजीत के बारे में जो बताया सुनकर अच्छा नहीं लगा।वहीं ये जानकर तसल्ली हुई कि डॉक्टरों का कहना है चिंता की कोई बात नहीं। शायद माहौल और वातावरण बदलने से उनका स्वास्थ्य बेहतर हो।
मैं यहाँ बिल्कुल ठीक हूँ। मेरी आंतों में थोड़ी सी तकलीफ है। इस वक्त गले में संक्रमण की वजह से मुझे बुख़ार है। लेकिन वक्त के साथ ठीक हो जाएगा।
कृपया आप अपने पुस्तकालय में देखें अगर आपके पास इनमें से कोई किताब है तो मुझे भेज दें। एक बार में एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो ही किताबें भेजिएगा।
1. Historical Geography of Europe by Gordon East.
2. Clash of culture and contact of races by Pitt Rivers.
3. Short History of Our Times by J. A. Spender.
4. World Politics 1918-35 by R. P. Dutt.
5. Science and the future by 3. B. S. Haldane.
6. Africa View by Huxley.
7. Genghis (Chenghis) Khan by Ralph Fox.
8. The Duty of Empire by Barnes.
अगर इनमें से कोई किताब नहीं है उसकी जगह आप हाल फ़िलहाल में आई कोई नई दिलचस्प किताब भेज दें। ये किताबें आप C/o पुलिस अधीक्षक, दार्जीलिंग के पते पर भेजें।
सप्रेम
आपका स्नेहाकांक्षी
सुभाष
That’s how our political leaders used to be. They read. They wrote. They thought. They cared. How low have we fallen since? pic.twitter.com/HlE5P11oLx
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 23, 2022
इसके से पहले भी शशि थरूर ने अपने एक पुराने पोस्ट में लिखा था कि भाजपा ने हमेशा यह दिखाने की कोशिश की है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ कई साजिशें की थी। लेकिन अब पुरानी फाइलें खुली है और यह पता चला है कि नेहरू जी ने कोई साजिश नहीं की थी तो आज वह चुप हैं। ”
इस ख़त में नेताजी और जवाहरलाल नेहरू के बीच का लगाव साफ देखा जा सकता है। इसी चिट्टी को अपने टि्वटर हैंडल से रीट्वीट करते हुए सुधींद्र कुलकर्णी ने भाजपा पर तंज कसते हुए लिखा ” यह सभी #नेहरू हैटर्स के लिए है। ऐसा एक भी पत्र दिखा दीजिए जो #नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने #सावरकर को लिखा हो। ”
आपको बता दें कि सुधींद्र कुलकर्णी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पूर्व सलाहकार और बेहद करीबी रह चुके हैं।
वैसे भी बीजेपी का अचानक से नेताजी सुभाष चंद्र बोस को इतना तवज्जो देना किसी राजनीतिक चाल से कम नहीं लग रहा है। विपक्षी पार्टियों कहना है कि इंडिया गेट पर से अमर जवान ज्योति को हटाकर सुभाष चंद्र बोस जी की होलोग्राम प्रतिमा को वहां लगाना 26 जनवरी के अवसर पर पश्चिम बंगाल की झांकी ना प्रस्तुत करने के मुद्दे को शांत करने के लिए है।
इंडिया गेट पर अचानक से सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण किया गया, जहां पहले काफी समय से गांधी जी की मूर्ति लगाने की चर्चा चल रही थी।
This one is for all #Nehru-haters.
Show us one such letter that #NetajiSubhashChandraBose wrote to #Savarkar. https://t.co/YMvKVp0jgM
— Sudheendra Kulkarni (@SudheenKulkarni) January 24, 2022
विपक्ष का कहना है कि नेता जी की मूर्ति का 23 जनवरी को इंडिया गेट पर अनावरण करना गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल की झांकी ना शामिल करने की वजह से पैदा हुए विवाद को पार्टी ढकने की कोशिश कर रही है।
आपको बता दें कि बीते कई दिनों से देश में ममता बनाम मोदी चल रहा है। इसके पीछे का कारण दिल्ली में आगामी गणतंत्र दिवस परेड से बंगाल की झांकी को बाहर करना है। स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को नहीं लेने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हैरानी जताई थी। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील भी की थी।
वहीं दूसरी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस का कहना है कि “देश में आजकल जो हालात चल रहे हैं, कई अलग-अलग मंचों से काफी अभद्र भाषा का प्रयोग हो रहा है। खासकर दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह वास्तव में नेताजी को परेशान करता क्योंकि उनके सबसे करीबी अनुयायियों में सभी धार्मिक समुदायों के लोग थे।”
चंद्र कुमार बोस ने एक इंटरव्यू में कहा कि जिस व्यक्ति ने “आईएनए (INA) को – इत्तेहाद (एकता) एतमाद (ट्रस्ट), और कुर्बानी (बलिदान)” को अपने मोटो के साथ सिंगापुर में आईएनए मेमोरियल का निर्माण किया, वह एक ईसाई अधिकारी सीरियल जॉन स्ट्रेसी थे। नेताजी साथ देने वाले और उनकी विचारधारा को आगे ले जाने में हर धर्म और हर जाति के लोग थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को हर जाति और धर्म से बराबर सम्मान मिला है।
Netaji Subhash Chandra Bose's grandnephew : Unfortunately we are hearing hate speeches from certain platforms. Particularly against minorities & Dalits. This would have really upset Netaji because, among his closest followers were people belonging to all religious communities. pic.twitter.com/thiDtOjghK
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) January 23, 2022