आज देश के पत्रकारों के इंटरव्यू देख लगता है मानो इन्होंने इंटरव्यू शब्द का अर्थ ही बदल दिया है। जहां पहले इंटरव्यू का मतलब सामने बैठे इंसान से हर प्रश्न का उत्तर पूछना होता था चाहे वह उसके लिए सहज हो या असहज हो। जहां पहले सवालों की लिस्ट इंटरव्यू देने वाले की पोजिशन और राजनीतिक दल देख कर नहीं बनाई जाती थी।
एक वक्त था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इंटरव्यू देने के ढंग और उसमें हाजिर जवाबी के लिए मशहूर थे। उन्हें एक अच्छे वक्ता के रूप में देखा जाता था। वह पत्रकारों के सभी प्रश्नों का सवाल बड़ी दिलचस्पी से दिया करते थे।
लेकिन आज कल के इंटरव्यू , इंटरव्यू काम और नरेंद्र मोदी के पीआर शो की तरह लगते है । प्रधानमंत्री के इंटरव्यू को देखकर यह लगता है कि मानो पत्रकार को एक लिस्ट थमा दी जाती है और उन्हीं सवालों को करना है जिनका जवाब नरेंद्र मोदी के पास हो।
उदाहरण के तौर पर , बीते रोज का ANI को दिया गया इंटरव्यू ही देख लीजिए। सामने बैठी पत्रकार स्मिता प्रकाश ने उनसे ऐसे सवाल पूछे मानों कि पांच राज्यों में शुरू होने वाले चुनाव से पहले एक पीआर टीम उनका इंटरव्यू कर रही है।
इस पूरे इंटरव्यू में स्मिता प्रकाश ने एक बार भी लोकसभा में कुछ दिन पहले आये आत्महत्या के डाटा पर कोई चर्चा नहीं की गई, ना ही देश में बढ़ती महंगाई पर कोई चर्चा की गई, और ना ही देश में हो रही सांप्रदायिक घटनाओं पर एक भी सवाल पूछा गया। इस पूरे इंटरव्यू में एक बार भी कुछ दिन पहले आए देश के ‘अमृतकाल बजट’ के बारे में भी सवाल नहीं किए गए। बल्कि सवाल किए गए कि आप आने वाले चुनाव में अपनी पार्टी को कहां देखते हैं ? विपक्षी पार्टी के प्रदर्शन पर बात की गई।
पत्रकार ने एक बार भी प्रधानमंत्री के जवाब पर काउंटर सवाल नहीं किया गया जिसमें वो कह रहे हैं कि उन्होंने कृषि हित में बहुत काम किया है। जबकि यह डाटा सबके सामने है कि देश में किसानों की हालत इतनी खस्ता है और आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कितनी आत्महत्या हो रही है।
यही नहीं नरेंद्र मोदी ने अपने सेंटर भी मैं यह भी कहा कि पंजाब से उनका बेहद पुराना रिश्ता है उसी को के बलिदान को समझते हैं, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर नरेंद्र मोदी का पंजाब से इतना ही पुराना रिश्ता था तो फिर 13 महीने तक पंजाब वाले दिल्ली की सड़कों पर बैठने को क्यों मजबूर हुए थे।
बात की गई कि कैसे विपक्षी पार्टियां देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है, और बात की गई कि कैसे विपक्षी पार्टियों के रवैया के कारण देश में कोरोना के हालात बिगड़ गए थे। इंटरव्यू देख लग रहा था कि यह इंटरव्यू नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने के बजाय उनके विपक्षी पार्टियों के विचार पूछने के लिए था। पूरे इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की बजाय विपक्षी पार्टियों को घेरा गया है।
पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान लगभग हर सवाल के जवाब में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कई राज्यों में परिवार ही पार्टी चला रहा है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर एक पार्टी के दो लोग एमपी एमएलए बन गए हैं तो वह पार्टी परिवार की नहीं बनी है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि देश की जो हालत है, उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।
लेकिन आजकल की मीडिया जनता को जितना बेवकूफ समझती है जनता इतनी बेवकूफ नहीं है। इस इंटरव्यू के बाहर आने के बाद ट्विटर पर आ रही प्रतिक्रियाओं से यह साफ समझ में आता है कि आप लोगों को भी यह इंटरव्यू एक पीआर स्टंट लग रहा है। कुछ यूजर्स का कहना है कि 7 सालों में आपने क्या किया जो भारत की हालत नहीं बदल पाए वही कुछ हैंडल से कमेंट किया गया कि 2020 में तो आप लोग भारत को सुपर पावर बनाने वाले थे। एक ट्विटर यूजर लिखते हैं कि अभी तक कांग्रेस का रोना ही चलता रहेगा कि आप लोग भी कुछ करेंगे। वहीं एक यूजर ने कमेंट किया – प्रधानमंत्री तक कांग्रेस पर सब कुछ थोपकर बचने की कोशिश करते हैं।
अभिनव त्रिपाठी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘ यह 70 साल भी सत्ता में रह लेंगे तब भी कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराएंगे।’ प्रणव लिखते हैं कि 7 सालों में आपने भी कुछ किया कि बस 70 सालों का ही जिक्र करके बचते रहेंगे? मुंबई प्रदेश कांग्रेस सेवादल के ट्विटर एकाउंट से कमेंट किया गया कि सात साल से आप वझीर-ए-आझम बन बैठे हो लेकिन देश के आज के हालात के लिए आप कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हो।
सोशल मीडिया पर यह भी सवाल उठ रहा है कि देश की दो अलग-अलग पार्टियों के लिए क्या आचार संहिता भी अलग अलग है। क्योंकि 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान जब राहुल गांधी ने चुनाव से 10 घंटे पहले एक इंटरव्यू दिया था तो उस इंटरव्यू को आचार संहिता का उल्लंघन माना गया था और चैनल पर FIR भी दर्ज की गई थी साथ ही राहुल गांधी को भी एक नोटिस भेजा गया था । नरेंद्र मोदी के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से 13 घंटे पहले इंटरव्यू पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया गया है।