
महाराष्ट्र में सोमवार को बोर्ड के छात्रों ने ऑफलाइन परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर उग्र विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों की मांग थी कि महाराष्ट्र बोर्ड पहले की तरह ऑनलाइन परीक्षा कराए। हजारों छात्रों ने शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। जिसे पुलिस को लाठी चार्ज करके हटाना पड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यूट्यूब और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर विकास फाटक उर्फ “हिंदुस्तानी भाऊ” ने छात्रों को विरोध प्रदर्शन के लिए भड़काया था। जिसके बाद ही छात्र मुंबई,नागपुर सहित अन्य जगहों पर विरोध करने लगे।
बांद्रा स्थित मजिस्ट्रेट अदालत ने “हिंदुस्तानी भाऊ” और उनके सहयोगी इकरार खान को 4 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रसाद जोशी ने कोर्ट को बताया कि हिंदुस्तानी भाऊ एक “आदतन अपराधी” था उसे एक “शानदार होटल” से गिरफ्तार किया गया,जहां वह किसी और के नाम पर बुक किए गए कमरे में रुका था। जोशी के मुताबिक हजारों की संख्या में छात्र अचानक से जमा नहीं हो सकते।

उन्होंने कोर्ट में कहा “यह संभव नहीं है कि इतने छात्र स्वयं आए हो,हम यह पता लगाना चाहते हैं कि उनके होटल में ठहरने के लिए किसने भुगतान किया और हमें शक है कि छात्रों को भेजने के पीछे किस संगठन का हाथ है।”
छात्रों की मांग थी या तो परीक्षा रद्द हो या फिर ऑनलाइन ली जाए। पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों में एक भी लड़की शामिल नहीं थी। सभी छात्र हिंदुस्तानी भाऊ के इंस्टाग्राम फॉलोअर्स थे।
वहीं इस मामले में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन ली जाएगी।
महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी ने कहा
“महाराष्ट्र में दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा के लिए 31.5 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। लगभग 70% छात्र ग्रामीण और आदिवासी इलाके से हैं। महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग(MSCERT) ने पायलट अध्ययन में पाया कि 3 में से मुश्किल से 1 छात्र के पास मोबाइल डिवाइस था और वह भी एक साझा डिवाइस हो सकता है।
प्रश्न पत्रों को सेट करने, उन्हें अनुमोदन के लिए भेजने, सुधार करने और उन्हें प्रिंट करने की प्रक्रिया में लगभग तीन महीने लगते हैं। वर्तमान में हमारे पास वस्तुनिष्ठ एमसीक्यू-प्रकार के प्रश्न पत्र नहीं हैं। यदि हम ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करना चाहते हैं, तो हमें उस पैटर्न की ओर बढ़ना होगा जिसके लिए हमें पहले शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
छात्रों को कक्षा 9 से ही उन्मुख होने की आवश्यकता है, शिक्षण पद्धति को फिर से उन्मुख करने की आवश्यकता है, और छात्रों को तैयारी के लिए अभ्यास प्रश्न पत्र और मॉक टेस्ट दिए जाने की आवश्यकता है।”
अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन परीक्षा करने के लिए सभी छात्रों के लिए स्मार्टफोन या कंप्यूटर का सेट अप करना होगा जो कि आर्थिक रूप से संभव नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले छात्रों का एक वर्ग को शिक्षा विभाग लंबे समय से इग्नोर कर रहा है। शैक्षणिक वर्ष के दौरान महाराष्ट्र राज्य बोर्ड ने परीक्षाओं के बारे में चिंता जाहिर की थी। अन्य राज्यों के बोर्ड ने महामारी के दौरान अपना पैटर्न बदल दिया और दो टर्म परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था।
एक स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक जयंत कुलकर्णी ने कहा- “कोविड की तीसरी लहर की शुरुआत में चिंताएं बढ़ गई क्योंकि छात्रों ने महसूस किया कि अन्य बोर्ड के उनके समकक्षों ने पहले ही एक टर्म परीक्षा पूरी कर ली है। कुछ लोगों ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भ्रमित किया है।”
कोचिंग क्लासेज टीचर्स फेडरेशन बंदोपंत भुयार ने कहा
“सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह वास्तविक छात्रों की वास्तविक राय को समझने की कोशिश करें और जो छात्र पढ़ाई के प्रति गंभीर है उनके साथ बात करें।”
हालांकि बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों की तुलना में प्रदर्शनकारियों छात्रों की संख्या काफी कम थी। इससे यह मान लेना चाहिए कि अधिकतर छात्र ऑफलाइन मोड में ही बोर्ड परीक्षा देना चाहते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान को कई छात्रों ने बताया कि वह लोग पुराने दिन में वापस जीना चाहते हैं। वहीं एक और छात्र ने कहा कि बोर्ड को केवल एक ऑफलाइन परीक्षा के ऊपर निर्भर रहने के बजाय मूल्यांकन के नए तरीके तैयार करने चाहिए थे।