हम गए तो थे औराई ज़िले के लक्ष्मणपट्टी गांव वहां का चुनावी झुकाव जानने, लेकिन वहां कुछ ऐसा हुआ की हम भी भावुक हो गए। हमने उस बच्ची के दर्द को महसूस किया जिससे वो गुज़र रही थी।
लक्ष्मणपट्टी गाँव में हमने एक परिवार से बात की, उस परिवार में कुल सात लोग हैं, माता पिता और उनकी पांच कन्याएं। वो सातों लोग एक कमरे में जैसे तैसे अपना गुज़र बसर करते हैं। माता पिता से बात करते समय उनकी सबसे बड़ी बेटी बीच बीच में उनसे पूछे गए सवालों पर अपनी राय रख रही थी। नाम पूछने पर उसने अपना नाम सेजल बताया। सेजल महज १४-१५ साल की होगी , लेकिन उसकी बात सुनकर ऐसा लगा जैसे कोई उम्र में बहुत बड़ी और समझदार बात कर रही हो।
सेजल से बात करने पर उसने बताया की हम पांच बहनें हैं, उनके पापा को पिछले एक साल से कोई रोज़गार नहीं मिला है,वो घर पर ही हैं। वो काम करना चाहते हैं लेकिन कोई काम ही है नहीं जो इन तक पहुंचा हो। उनका गुज़ारा सिर्फ २ गाय को पालने से हो रहा है, सेजल ने बताया की उनके पास न नहाने की जगह है न शौचालय है। उस बढ़ती बच्ची को खुले में नहाना पड़ता है , और शौच की जगह ऐसी है की वहां कोई दरवाज़ा नहीं है न ही छत्त है , वो जगह केवल एक परदे से ढकी हुई है। बारिश के वक्त तो वहां जो भी शौच करने जाता है पूरा बारिश में भीग जाता है।
स्कूल दो सालों से बंद है, उसके माता पिता ने बताया की स्कूल की फीस महीने की २०० रुपये जाती है। हम कैसे इसे पढ़ा रहे है हम जानते हैं। एक एक पाई जोड़कर वो सेजल को स्कूल भेजते हैं, बातों बातों में उन्होंने बताया की सेजल उनसे खूब लड़ती है, कारण ये की वो चाहती है उसके पापा कुछ करें, घर में ना बैठे।
तभी सेजल के पिता ने हमें ये भी बताया की सेजल अक्सर उनसे कहा करती है अगर मैं लड़का होती तो आपकी कुछ मदद कर सकती, वह सोचती है की बुढ़ापे में उनका साथ कौन देगा। यही सुनकर सेजल की आँखों में आसूं आ गए, उसे लगता है कि शायद लड़की होने अपने पिता की इतनी सहायता नहीं कर पाती, लड़का होती तो उनकी देख रेख और ज्यादा अच्छे से कर पाती, घर चलाने में उनका सहारा बनती।
सच में उस किशोरी को देख हमारी भी आँखें भर आयीं कि उसे इतनी छोटी सी उम्र में इतना ज्ञान है। उसने ऐसी बात कह दी की वो बिलकुल दिल को छू गयी, उसे लगता है लड़की है तो कम है, फिर उसे समझाया की लड़की हो काफी हो।
पुरे परिवार का प्रियंका गाँधी की तरफ लगाव दिखा। साफ साफ तो उन्होंने नहीं बताया लेकिन कांग्रेस की तरफ उनका थोड़ा झुकाव महसूस हुआ।
वो लड़की होकर भी उड़ान भर सकती है, सेजल एक पुलिस अफसर बनना चाहती है, वो पढ़ लिखकर अपनी बहनों को पढ़ाना चाहती है, अपने घर में पूरा सहयोग देना चाहती है, और साथ ही आगे बढ़ना चाहती है।
ऐसी ही कुछ कर दिखाने का जोश रखने वाली लड़कियों की सरकार को मदद करनी चाहिए। जब इन्हे अपना हुनर और जोश का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच मिलेगा तभी तो ये अपने देश का नाम रोशन करेंगी , तभी तो ये अपना माता पिता का सहारा बनने का सपना सहकार कर पाएंगी।
और उसके बाद फिर ये ऐसी उड़ान भरेंगी की इनके आँखों में ख़ुशी के अलावा और कुछ नहीं होगा।