
नई दिल्ली: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना चौथा बजट पेश करने जा रही हैं। लेकिन ये बजट इतना भी आसान नहीं होगा क्योंकि एक तो यह बजट पांच राज्यों के चुनाव( उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा) से पहले घोषित होगा और साथ ही बजट कोरोना काल में आने वाला है।
हालांकि इस बजट में आशंका है कि बहुत ज्यादा डायरेक्ट टैक्स रिलीफ सरकार ना दे पाए लेकिन कुछ ऐसे फायदे हैं जो टैक्स भरने वाले उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें इस साल के बजट में मिलेंगे।
1- कोरोना से संक्रमित लोगों और परिवारों को टैक्स में राहत: जो लोग कोरोना से संक्रमित और अपना खर्चा खुद उठा रहे हैं उन लोगों की मांग है कि जो पैसा उन्होंने अपने इलाज पर खर्च किया सरकार उसका डिडक्शन उन्हें टैक्स में से दे। सेक्शन 80D जिसमें मेडिकल प्रीमियम की डिडक्शन मिलती है और उन वरिष्ठ नागरिकों को जिनके पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं है उन्हें 50000 के खर्च तक डिडक्शन मिलती है , सेक्शन में कोरोना के इलाज के लिए अलग से डिडक्शन दी जा सकती है या एक नया सेक्शन जोड़ा जा सकता है ।
2- चूँकि केवल डेढ़ करोड़ (1.5 crore) लोग ही टैक्स भरते हैं इसलिए उन्हें कुछ इंसेंटिव दिए जाने चाहिए , जैसे FD में बेहतर ब्याज दर, बैंक लोन में कम ब्याज दर , स्कूलों में बच्चों के एडमिशन में या किसी भी सरकारी काम में प्राथमिकता ।
3- सरकार जो 50 हज़ार की स्टैंडर्ड डिडक्शन देती है जो आमतौर पर ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट हटा के एक फिक्स्ड अमाउंट की डिडक्शन है इसे बढ़ाने का ये बिलकुल सही वक्त है क्योंकि लोगों के वर्क फ्रॉम होम की वजह से काफ़ी खर्चे हुए हैं जिसे अलग से कोई खर्च नहीं मिला है।
4- इस बजट से उम्मीद है की एक डेटा रिलीज किया जाए जो ये बताए की कितने लोग नई व्यवस्था में रुख़ कर चुके हैं, ताकि ये पता चल सके की नई व्यवस्था लोगों के लिए कितनी फायदेमंद सबित हुई और इसे जारी रखना चाहिए या नहीं। अगर जारी रखना ही है तो निश्चित रूप से इसमें कुछ और फायदे दिए जाने चाहिए जैसे बेहतर स्लैब दरें और साथ ही व्यापार वालों को भी हर साल बदलने का मौका।
5- ज्यादातर करदाताओं को उम्मीद है कि एलटीसीजी ऑन इक्विटी जो 2018 मेन में लाया गया वो हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि इन्वेस्टर्स पर काफ़ी टैक्स लगता है और इक्विटी ( equity) में निवेश करने का जो फ़ायदा था कि इसके प्रॉफिट पर कोई टैक्स नहीं है अब खत्म हो चुका है, अगर टैक्स हटाया नहीं जा सकता तो कम से कम जो 1 लाख की छूट है उसे बड़ा कर कम से कम 3 लाख कर देना चाहिए।
करदाताओं की कुछ और माँगें हैं जैसे क्रिप्टो पर टैक्स का निश्चित अमाउंट, बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट बढ़ाई जाएं, 80C की लिमिट बढ़ाई जाए क्योंकि ये दोनों ही पिछले कई साल से बदली नहीं गई हैं, साथ ही बैंक चाहते हैं कि लॉक सेवर एफडी अवधि 5 साल से घटा कर 3 साल कर दी जाए, धारा 80G के तहत किराए की कटौती जो अभी अधिकतम 60 हजार है इसको बढ़ाकर कम से कम दुगुनी की जाए। जीएसटी से जुड़ी कई माँगें हैं लेकिन चूँकि जीएसटी परिषद की बैठकों में ही जीएसटी को लेकर निर्णय लिए जाते हैं तो केंद्रीय बजट से मुख्य जीएसटी को लेकर बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।