आज इन बुजुर्ग किसान को ये कहने की ज़रूरत क्यों पड़ी! क्या देश का मीडिया कभी सोचेगा और अपने गिरेबान में झाँकेगा? वरना वो दिन दूर नहीं जब जनता खुद दौड़ाएँगी इस वीडियो को जिसे आज लोग गोदी मीडिया के नाम से जानने लगे हैं।
इन बुजुर्ग किसान को कहना पड़ा कि आज अगर सोशल मीडिया न होता तो हमारी बात सरकार तक और बाक़ी लोगों तक सच नहीं पहुँच पाता। और आज का जो मेनस्ट्रीम मीडिया है वो होता 1946 में होता तो देश कभी आज़ाद नहीं हो पाता। इसके मायने तो आप समझ ही रहे होंगे।
किसान कहना ये चाह रहे हैं कि ये मीडिया अंग्रेजों के भी सामने झुका होता और उनकी पैरवी कर रहा होता जिस तरह आज सत्ता की कर रहा है।
जब आंदोलन चल रहा था तब कुछ न्यूज चैनल किसानों और उनके आंदोलन को बदनाम करने का पूरा प्रयास कर रहे थे। लेकिन सोशल मीडिया जैसे Twitter, YouTube Facebook जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से मीडिया का propaganda विफल हो गया था।