
राजस्थान: अक्सर बारात में दूल्हे के साथ उसके दोस्त उसके परिवार जन और बाराती जाते हैं लेकिन राजस्थान के बूंदी जिले में दूल्हे के साथ कई पुलिस के जवान दिख रहे हैं। तस्वीर को देखकर पहले यह लगता है कि मानो किसी बड़े सेलिब्रिटी या किसी नेता के बेटे की शादी है लेकिन मामला ऐसा बिल्कुल नहीं है।
दरअसल 27 वर्षीय नवरादेव श्रीराम मेघवाल की शादी राजस्थान के बूंदी जिले के पुलिस अधीक्षक जय यादव की देखरेख में हुई। पति घोड़े पर सवार था और उसे पुलिस ने घेरकर दुल्हन के घर तक ला रही थी। इस शादी की चर्चा इसलिए इतनी हो रही है क्योंकि ये दूल्हा दलित समुदाय से ताल्लुक रखता है। राजस्थान में आज भी दलित दूल्हों को घोड़े पर बैठकर आने नहीं दिया जाता। ऐसा करना वहां पर रहने “ऊंची जातियों” के समुदाय को नहीं भाता। उसका विरोध करते हैं।
राजस्थान में आज भी लोग ऊंची जाति, नीची जाति जैसे शब्दों में यकीन रखते हैं। आज भी राजस्थान के कई इलाकों में जातिवाद प्रबल हैं। ऐसे में किसी दलित दूल्हे को घोड़े पर देखकर लोग बवाल ना करें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन ने बूंदी जिले के 30 गांवों का चयन किया और इन गांवों में ‘ऑपरेशन इक्वलिटी’ लागू की। इस अभियान के तहत दलित नवरादेव की बारात गांव से घोड़े पर बिठाकर निकाली गई। पुलिस अधीक्षक जय यादव ने स्वयं अधिकारियों और समुदाय के गणमान्य लोगों के साथ समारोह का स्वागत किया।
दंगा गियर में पुलिस ने ट्रक द्वारा सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हटाते हुए शुक्रवार को एक रैली की। दूल्हे के आसपास पुलिस थी। दुल्हन को वीवीआईपी जैसी सुरक्षा दी गई। शो के दौरान ‘जय भीम’ गाने बजाए गए। नवरादेव श्रीराम मेघवाल ने कहा, “मैं पहला दलित नवरादेव हूं, जिसने आजादी के बाद घोड़े पर सवार होकर शादी की है। यह एक नए बदलाव की शुरुआत है। यह लोगो की मानसिकता में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है कि दलितों को हमेशा ‘हीन’ माना जाता है और यह कदम उन्हें समानता की ओर ले जाएगा। मेघवाल और उनकी होने वाली पत्नी द्रौपदी ने सोमवार को बूंदी पुलिस और जिला प्रशासन के सहयोग से शादी कर ली।
ऐसे समारोहों के बारे में पुलिस अधीक्षक का कहना है, ”सभी गांवों में समानता समितियां ( equality committees) गठित की गई हैं। ये समितियां ऐसी घटनाओं पर नजर रखेंगी। इस समिति में अलग-अलग क्षेत्र से अलग-अलग जनप्रतिनिधि शामिल हैं ”। इस तरह की पहल को लागू करने का कारण यह है कि राजस्थान में दलित दुल्हनों को घोड़े पर सवार नहीं होने के मामलों में भारी वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में ऐसी 76 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसलिए पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा समाज में समानता स्थापित करने के लिए इस ‘ऑपरेशन इक्वलिटी’ को लागू किया जा रहा है।