उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव कवर करते हुए हम पहुंचे फ़िरोज़ाबाद के एक छोटे से गांव मुल्लीनगर में , ये जानने के लिए कि वहां के लोगों की क्या परेशानी है ,क्या सरकार उनका हल निकालने में सफल रही या नहीं?
चबूतरे पर चंद लोगों से बात करने पर पता चला कि वो भाजपा सरकार से बहुत नाखुश हैं मज़दूरों की मज़दूरी समय पर न मिलना, उनकी सबसे बड़ी परेशानी है। उन्होंने बताया कि “महीनों बीत जाते हैं लेकिन हमारी मज़दूरी हम तक नहीं पहुँचती।” ये गरीब मज़दूर आखिर अपना घर कैसे चलाएंगे, अपना पेट कैसे भरेंगे, इनका तो पूरा घर ही उस मज़दूरी से चलता है।
आगे बढ़े तो एक महिला हाथ पकड़कर एक बस्ती में ले गयी, कहने लगी यहाँ बात करिये।आपको बता दें की बस्ती की हालत इतनी दयनीय थी की वह चारों तरफ बहुत गन्दगी थी। ऐसा लग रहा था मानो वहां बरसों से सफाई न हुई हो, सूरज ढलने का सुहावना समय था और हर तरफ सुनहरा उजाला फैला हुआ था, लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये दिखी कि, उस तंग सी गली में किसी तरह की कोई रोशनी नहीं थी, बस्ती बिलकुल अँधेरी गुफा जैसी थी।
वहां के लोगों से जब बात की तो उनके अंदर की भड़ास ऐसे बाहर निकली जैसे न जाने कब से अपना गुस्सा अंदर दबाये बैठे हों। जब उनसे उनकी समस्याएं पूछी तो एक महिला अपना सर पकड़कर बोली, 15 साल से किराये के मकान पर हैं मैडम, अपनी छत तक नसीब नहीं हो पायी है अभी तक। उतने में ही पति बोल पड़ा 2-3 साल से बच्चों की पढ़ाई लिखाई का अता-पता नहीं है, कैसे बनेगा इनका भविष्य?
बात तो सही है, यही तो बच्चों के पढ़ने लिखने का मुख्य समय है, इसी उम्र में पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो इनके उज्जवल भविष्य के सपने आखिर कैसे साकार होंगे। बात करते करते एक नौजवान बीच में कूद पड़ा, और अपने हाथ कैमरे में दिखाने लगा. हाथ मजदूरी के कारण इतने रूखे की देख कर ही उसके साथ सहानुभूति होने लगी।
उसने कारखानों का कच्चा चिटठा खोलकर सामने रख दिया पहले मजदूरों के काम करने का एक तय समय हुआ करता था , अब तो १०-१२ घंटे मजदूरी करना भी कम है, और तो और एक आदमी बोला ये हमें नमक और पांच किलो राशन देकर खरीदना चाहते हैं, हम बिकाऊ नहीं है।
हम इनकी समस्याएं सुन ही रहे थे की एक बूढी अम्मा लोगों के काफिले को देखकर वहां पहुंची। जब उन्हें पता चला की यहाँ क्या हो रहा है, तो तपाक से बोलीं हम यहाँ की सफाई के हर महीने १०० रुपये देते है बेटा। यहाँ कोई नहीं आता सफाई करने के लिए हर जगह गंदगी ही गंदगी है, इससे बच्चों के स्वास्थ्य कैसे ठीक रहेगा?
वहां सभी लोग सिर्फ साइकिल साइकिल के नारे लगा रहे थे। वे सारे लोग अखिलेश की सरकार चाहते थे क्योंकि उनके हिसाब से योगी राज में उनकी कोई मदद नहीं हुई है और इसीलिए वो सरकार बदलना चाहते है।
एक महिला वहां 2 फुट लम्बा बेलन ले आई जिसे देखकर हम भी एक पल को डर गए। दरअसल वो हमें सरकार द्वारा भेजी गयी मीडिया समझ बैठी थीं। कहने लगीं आप चाहे कैमरा ले आओ या रिकॉर्डर हमारा वोट तो अखिलेश को ही जाएगा। हमने उन्हें जैसे तैसे समझाया कि हम सिर्फ आपकी समस्या लोगों और सरकार तक पहुंचना चाहते हैं , हमारा यहाँ आने का लक्ष्य किसी चुनावी पक्षपात से जुड़ा नहीं है।
फ़िरोज़ाबाद के इस गाँव, मुल्लीनगर में तो जाकर यही एहसास हुआ की लोग इस विधानसभा चुनाव में सपा की सरकार चाहते हैं।
वीडियो देखें: