देश आजादी का 75वाँ साल मना रहा है। लेकिन इस अमृत काल में कई कुप्रथाएं या यूं कहें दबंगो की दबंगई से दलित और पिछड़ा वर्ग शोषित और पीड़ित है।
इस अमृत काल में पुलिस भी दबंगों से डरती है। दलित पुलिसकर्मी दूल्हे को पुलिस सुरक्षा के बीच अपनी बारात निकालनी पड़ी। तीन हफ़्तों में यह तीसरा मामला है जब मध्य प्रदेश में एक दलित दूल्हे को बारात घोड़ी पर निकालने के लिए पुलिस सुरक्षा देनी पड़ी है।
घटना मध्यप्रदेश, छतरपुर के कुण्डल्या गांव की है।9 फरवरी को पुलिस कांस्टेबल की शादी होनी थी। लेकिन दबंगों ने दुल्हे के परिजनों को धमकाते हुए कहा कि दलित होने के वजह से दूल्हे को घोड़ी पर बिठाकर गांव में से निकलने नहीं दिया जाएगा।
MP के छतरपुर में एक दलित पुलिसकर्मी 9 फ़रवरी को अपनी बारात घोड़े पर लेकर निकला तभी गांव के सवर्ण समाज के लोगों ने उसे रोक कर घोड़े से उतार दिया। काफ़ी बहस के बाद बारात निकल गई।
अगले दिन पुलिस की मौजूदगी में धूम धाम से बरात निकली।
पिछले 3 हफ्तों में MP में यह 3 मामला है। @DGP_MP pic.twitter.com/U8vVtySZc1
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) February 11, 2022
लेकिन बारात निकलने से पहले रिवाज के मुताबिक पुलिस कांस्टेबल को घोड़ी पर बैठाकर गांव से निकाली जानी थी। लेकिन जैसे ही कांस्टेबल दूल्हा घोड़ी पर बैठकर गांव की तरफ निकला तो गांव के दबंग लोग बौखला गए और बीच रास्ते में ही बारात को रोककर वापस भेज दिया।दबंगों के डर से परिवार ने भी ऐसा ही किया। हालांकि अगले दिन पुलिस की मौजूदगी में पुलिस कांस्टेबल की बारात गाँव से निकल सकी। दबंगों को कांस्टेबल दूल्हे को यह रीतिरिवाज पसंद नहीं आया।
कांस्टेबल ने इसकी शिकायत अपने विभाग के अधिकारियों से की। जिसके बाद अगले दिन पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने गांव में डेरा डाल दिया। और फिर पुलिस सुरक्षा में कांस्टेबल की बारात निकल सकी।प्रशासन के अधिकारी युवक की शादी में भी शामिल हुए और दूल्हा एवं दुल्हन को बुके भेंट कर बधाई भी दी।
दलित दूल्हा दयाचंद अहिरवार खुद पुलिस कांस्टेबल हैं। और फिलहाल टीकमगढ़ कोतवाली में तैनात हैं।