“बुल्ली बाई” , एक ऐसा ऑनलाइन ऐप जिसके माध्यम से मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश की गई। 1 जनवरी को द वायर की पत्रकार इस्मत आरा ने ट्वीट के जरिए जब इस बात की जानकारी दी तो एक बार फिर महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की बात होने लगी। इस नीलामी में इस्मत आरा समेत तमाम उन मुस्लिम महिलाओं को रखा गया जो हिम्मती हैं और प्रमुखता से अपनी बात रखती हैं।
एफआईआर दर्ज होने के बाद मुंबई पुलिस ने काफी तत्परता से कार्रवाई करते हुए 2 लोगों को गिरफ्तार किया। इन 2 लोगों में से एक 21 साल का युवक विशाल झा है और दूसरी इस नीलामी की मास्टरमाइंड 18 साल की श्वेता सिंह है। बता दें कि विशाल जांच सिविल इंजीनियरिंग का छात्र है, तो वहीं श्वेता सिंह मेडिकल की तैयारी कर रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि इन कम उम्र के छात्रों से यह घिनौना काम कौन और क्यूँ करवा रहा। जाहिर सी बात है, इतनी कम उम्र में इनके पास इतनी अक्ल तो होगी नहीं कि वे किसी मुस्लिम महिला को सोशल मीडिया पर नीलाम करें।
इस पूरे प्रकरण में हमें यह भी समझना होगा कि इनलोगों को सिखों के फेक अकाउंट्स क्यों बनाने पड़े? आखिर क्यों इन अकाउंट्स में गुरुमुखी में ही लिखा गया? साथ ही क्यों इन अकाउंट्स का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करने के लिए किया गया।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक किसान आंदोलन के समय सिखों के नाम से सोशल मीडिया पर कई फेक आईडीज का नेटवर्क खड़ा किया गया। सीआईआर यानी सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन इन साइलेंस नाम के एक non-profit संस्थान की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए थे। सीआईआर के मुताबिक सोशल मीडिया पर बनाए गए फेक आईडीज असल इंसानों के द्वारा चलाया जा रहा था, ना कि फेक बाॅट्स के द्वारा।इन प्रोफाइल में सिखों के नाम दिए गए और Realsikh जैसे हैशटैग भी चलाए गए थे। अकाउंट में लगातार ऐसे पोस्ट डाले जा रहे थे जिससे लगे कि किसान आंदोलन को खालिस्तानी समूह द्वारा हाईजैक कर लिया गया है। इसके साथ ही सिख समुदाय से जुड़ी बातों को उग्रवादियों से जोड़ कर दिखाया गया था। जो सिख इससे असहमति रखते थे उन्हें इन अकाउंट्स द्वारा फेक सिख करार दिया जाता था। रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त हिंदू राष्ट्रवाद और भारत सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश भी की गई थी। सीआईआर रिपोर्ट आने के बाद ट्विटर ने इन अकाउंट्स को बंद कर दिया था।
किसान आंदोलन के बाद से ही लगातार सिख समुदाय निशाने पर है। याद होगा कि किसान आंदोलन के समय मुसलमानों ने अपना समर्थन किसानों को दिया था। जिससे दोनों समुदाय के लोग आपस में कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन कर रहे थे। हाल ही में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भी तथाकथित हिंदू नेता मुसलमानों, सिखों और अल्पसंख्यकों का नरसंहार करने की बात करते दिखे।
खालसा पंथ नाम से अकाउंट बना और अकाउंट से मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करना यह दिखाता है कि कोई है जो नहीं चाहता कि दोनों समुदायों के बीच शांति बनी रहे।
साथ ही यह भी सोचना होगा कि किन मानसिकता के तहत 18 और 21 साल के युवक- युवती का इस्तेमाल किया गया। किस माहौल में इनकी परवरिश की गई होगी। और किसने इनके मन में इतना जहर भर दिया कि ये इतना घिनौना काम करने लगे।