अब तो आप जान ही गए होंगे की हम यूपी आये हुए हैं, यहाँ की चुनावी लहर परखने और देखने की आखिर किस पार्टी का पलड़ा भारी है। तो हम पहुंचे भदोही ज़िले के औराई विधानसभा में एक छोटे से गांव देवनाथपुर में, आपको बता दें की २०१७ के विधान सभा चुनाव में औराई से भाजपा के दीनानाथ भास्कर ने जीत हासिल की थी, गांव में चारो तरफ खेती थी। हर घर में लगभग एक दो गाय भैंस बंधी थी, साथ ही घरों को देखकर ऐसा लगा की न जाने कौन सी सदी में आ गए हों।
तो हुआ यूँ की हम ने गांव में जाकर लोगों से बातें करना शुरू की और पहले घर में घुसते ही हमें एक युवा दिखा, जो हमें देखकर अपनी अम्मा को बुलाना के लिए भाग गया। उसकी बूढ़ी अम्मा खेत में थी, हमने जब उनसे उनकी परेशानियों के बारे में पूछा तो उनकी आँखें चमक उठी। उन्हें लगा हम सरकारी लोग हैं और अब उनकी कुछ मदद हो सकेगी। फिर हमने बताया की हम सरकार तो नहीं हैं लेकिन आपकी बात जरूर सरकार तक पहुंचा सकते हैं। वही सुनके वो खुश हो गयी, और बताने लगीं की हमारा ये छोटा सा खेत है, २-३ गाय हैं जिससे हमारा घर चलता है। हमें राशन नहीं मिलता, और अपने घर की हालत दिखाने लगीं। पूरा घर सिर्फ मिटटी से बना था, और ऊपर पक्की छत्त तक नहीं थी, वो देखकर तो ऐसा लगा की बरसात में पूरा घर में पानी भर हो जाता होगा।
आगे बढ़ने पर हमें एक परिवार मिला जो घर के बाहर ही आपस में बात कर रहा था। अंदर जाने पर हमने एक शख्स से बात की, चुनाव में किसका समर्थन करेंगे पूछने पर साफ़ बोला जो काम करेगा हम तो उसी का साथ देंगे। यहाँ तो कोई काम नहीं होता, हमारे पास शौचालय तक नहीं है। क्या विकास हुआ है यहाँ बताइये, हम खुले में ही नहाते हैं और खुले में ही शौच के लिए जाते हैं। हमारी ५ बच्चियां है, एक तो १४-१५ साल की है, हमारे लिए नहीं तो कम से कम इन बच्चियों के लिए तो सरकार कुछ इंतज़ाम करवाए। हम सिर्फ अपनी बच्चियों के लिए सुविधा चाहते हैं, इस गांव में कुछ को राशन मिलता है कुछ को नहीं। हम कबसे अपना राशन कार्ड बनाने की कोशिश कर रहे हैं, न वो बन रहा है न राशन मिल रहा है।
दुबे परिवार की हालत असल में ध्यान देने वाली थी, माता पिता लाचार थे, वो सरकार से मदद की गुहार लगाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते हैं।
परिवार को हमसे बात करते देख एक बुज़ुर्ग सामने से कच्ची सड़क पार कर हमारे पास आये। वे बताने लगे कि ” 11 साल से राशन कार्ड है हमारे पास, लेकिन पिछले साल ही हमारा नाम राशन की लिस्ट से काट दिया गया, सो हमें राशन मिलना बंद हो गया। हमारे घर की हालत देखिये आप, ये हर तरफ से झड़ रहा है, कुछ दिन में ये पूरा ढह जाएगा। मेरी बूढ़ी माँ है, मैं तो घर के बाहर उस पेड़ के नीचे सोता हूँ, बारिश के मौसम में एक तिरपाल ढक लेता हूँ।”
बूढ़े बाबा का घर असल में जोखिम भरा था, घर की हालत ऐसी थी की एक बार ज़रा जोर से बारिश आने पर पूरा गिर जाए। उनकी माँ को उसी घर में में सोना पड़ता है, इसके अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है।
जहाँ एक तरफ हम इक्कीसवी सदी में इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, साइंस इतनी तरक्की कर रहा है, वहीँ देश में कुछ गांव ऐसे भी है जो तरक्की का मतलब तक नहीं जानते। उनकी समस्या कोई इंटरनेट या ब्राउन ब्रेड न मिलना नहीं है। बल्कि गाँव वाले बस इतना चाहते हैं कि बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखा जाये जैसे कि शौचालय बन जाए, सर पर पक्की छत्त हो, राशन, बिजली, स्वास्थ्य केंद्र हो, सड़क बन जाये।
यकीन मानिये देवनाथपुर जैसे अनेकों गाँव हैं, जो विकास से अछूते रहे हैं। सरकार को इन गाँवों को विकास की मुख्यधारा में लाना होगा, जिससे सबका साथ सबका विकास वास्तव में संभव हो पाए।